परमेश्वर पर विश्वास करने वाले व्यक्ति के रूप में, तुम को यह समझना चाहिए कि,आज, इन अंतिम दिनों में परमेश्वर का कार्य और तुम में परमेश्वर की योजना के सारे कार्य को पाने में, तुमने परमेश्वर की ओर से उत्कर्ष और उद्धार को वास्तव में पा लिया है। समस्त ब्रम्हांड में परमेश्वर के सारे कार्य ने इसी एक जनसमूह पर ध्यान केंद्रित किया है। उसने अपने सभी प्रयास तुम लोगों के लिये समर्पित किये और तुम्हारे लिये सब कुछ बलिदान किया है, उसने फिर से दावा किया है और समस्त ब्रम्हांड में तुम लोगों के लिये पवित्रा आत्मा के सभी काम दिये हैं। यही कारण है कि मैं कहता हूं, तुम सभी सौभाग्यशाली हो। और यही नहीं, उसने इस्राएल से, अर्थात उसके चुने हुए लोगों से अर्थात उसके चुने हुए लोगों से, और तुम लोगों को दी है, ताकि उसकी योजना के उद्देश्यों को तुम्हारे जनसमूह के द्वारा पूर्ण रूप से प्रकट करे। इस कारण तुम सभी वे लोग हो जो परमेश्वर की विरासत को पाएंगे, और इससे भी अधिक परमेश्वर की महिमा के वारिस ठहरेंगे। संभवतः तुम सबको ये वचन स्मरण होंगे: “क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।” अतीत में तुम सबने यह बात सुनी है तो भी किसी ने इन वचनों का सही अर्थ नहीं समझा। आज, तुम सभी अच्छे से जानते हो कि उनका वास्तविक महत्व क्या है। ये वह वचन है जिन्हें परमेश्वर अंतिम दिनों में पूरा करेगा। और ये वचन उन में पूरे होंगे जो विशाल लाल अजगर द्वारा निर्दयतापूर्वक पीड़ित किये गए हैं, उस देश में जहां वह रहता है। यह बड़ा लाल अजगर परमेश्वर को सताता है और परमेश्वर का शत्रु है, इसलिए इस देश में, जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं उन्हें अपमानित किया जाता और सताया जाता है। इस कारण ये शब्द तुम्हारे समूह के लोगों में वास्तविकता बन जाएंगे। जब उस देश में परमेश्वर का कार्य किया जाता है जहाँ परमेश्वर का विरोध होता है, उसके सारे कामों में अत्यधिक बाधा आती है, और उसके बहुत से वचन सही समय पर पूरे नहीं किये जा सकते; अतः, परमेश्वर के वचनों के कारण लोग शुद्ध किये जाते हैं। यह भी पीड़ा का एक तत्व है। परमेश्वर के लिए विशाल लाल अजगर के देश में अपना कार्य करना बहुत कठिन है, परन्तु ऐसी कठिनाईयों के बीच में अपनी बुद्धि और अद्भुत कामों को प्रकट करने के लिए परमेश्वर अपने काम का मंचन करता है। परमेश्वर इस अवसर के द्वारा इस जनसमूह के लोगों को पूर्ण करता है। इस अशुद्ध देश में लोगों के सताये जाने के कारण, उनकी क्षमता और उनके पूरे शैतानी स्वभाव का परमेश्वर शुद्धिकरण करता और जीतता है ताकि, इससे, वह महिमा प्राप्त करे और उन्हें भी जो उसके कामों के गवाह बनते हैं। परमेश्वर ने इस जनसूमह के लोगों के लिए जो बलिदान किये हैं यह उन सभी का संपूर्ण महत्व है। कहने का अभिप्राय है, परमेश्वर विजय कार्य उनके द्वारा करता है जो उसका विरोध करते हैं। इस कारण, ऐसा करने पर ही परमेश्वर की महान सामर्थ का प्रकटीकरण हो सकता है। दूसरे शब्दों में, केवल वे जो अशुद्ध देश में हैं परमेश्वर की महिमा का उत्तराधिकार पाने के योग्य हैं, और केवल यह परमेश्वर की महान सामर्थ्य को विशिष्टता दे सकती है। इसी कारण मैं कहता हूँ कि परमेश्वर अशुद्ध देश में महिमा पाता है, और उनके द्वारा जो उस देश में रहते हैं। यह परमेश्वर की इच्छा है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा यह यीशु के कार्य के चरण में था; उसे सिर्फ उन फरीसियों के बीच ही महिमा मिल सकती थी जिन्होंने उसे सताया। यदि यीशु को वैसा कष्ट और यहूदा का विश्वासघात नहीं मिलता, तो यीशु का उपहास और निंदा भी नहीं होती, क्रूस पर चढ़ना तो असम्भव होता, और उसे कभी भी महिमा नहीं मिलती। जहां भी परमेश्वर प्रत्येक युग में कार्य करता है, और जहां भी वह शरीर में काम करता है, वो वहाँ महिमा पाता है और उन्हें जीत लेता है जिन्हें वो जीतना चाहता है। यह परमेश्वर के कार्य की योजना है, और यही उसका प्रबंध है।
कई हजार वर्षों की परमेश्वर की योजना में, शरीर में किया गया कार्य दो भागों में हैं: पहला क्रूस पर चढ़ाए जाने का कार्य, जिसके लिए वह महिमामय है; दूसरा कार्य अंतिम दिनों में जीतने और सिद्ध करने का है, जिसके द्वारा वह महिमा प्राप्त करेगा। यह परमेश्वर का प्रबंध है। इस कारण, तुम लोग परमेश्वर के कार्य को या परमेश्वर की तुम लोगों के लिये आज्ञा को बहुत साधारण न समझो। तुम सभी बहुत ज़्यादा बढ़कर और अनंतकाल की परमेश्वर की महिमा के भार के वारिस हो, और यह विशेष रूप में परमेश्वर के द्वारा ठहराया गया है। उसकी महिमा के दो भागों में से, एक तुम लोगों के अन्दर प्रकट होता है; परमेश्वर की महिमा के पहले भाग की संपूर्णता को तुम लोगों को दिया गया है ताकि वह तुम सभी की विरासत बने। यह परमेश्वर की ओर से उत्कर्ष है और उसकी योजना जो बहुत पहले से पूर्व निर्धारित है। परमेश्वर ने यह महान कार्य उस देश में किया है जहां विशाल लाल अजगर निवास करता है, ऐसा कार्य, यदि कहीं और किया जाता, तो वर्षों पहले बड़ा फल लाता, और मनुष्यों के द्वारा बड़ी आसानी से स्वीकार किया जाता। और ऐसा कार्य पश्चिम के पादरियों के लिए स्वीकार करना अत्यन्त आसान होता जो परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, क्योंकि यीशु के कार्य का चरण मिसाल का कार्य करता है। यही कारण है कि वह महिमाकरण के कार्य के इस चरण को किसी अन्य स्थान में प्राप्त नहीं कर सका; अर्थात, चूँकि सभी मनुष्यों की ओर से सहयोग और सभी राष्ट्रों की अभिस्वीकृति है, परमेश्वर की महिमा “ठहरने” के लिए कोई स्थान नहीं है। और ठीक रूप से इस देश में इस कार्य के चरण का असाधारण महत्व है। तुम लोगों के बीच में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे कानून के द्वारा सुरक्षा मिली है, इसके विपरीत, तुम सब कानून के द्वारा दण्डित किये गये हो, और उस से बड़ी कठिनाई यह है कि कोई मनुष्य तुम लोगों को समझता नहीं, चाहे वे तुम्हारे रिश्तेदार हों, तुम्हारे माता-पिता, तुम्हारे मित्र, या तुम्हारे सहकर्मी हों। कोई भी तुम लोगों को नहीं समझता। जब परमेश्वर तुम लोगों का तिरस्कार करते हैं, तब तुम्हारे लिये पृथ्वी पर जीने का कोई रास्ता नहीं बचता है। हालाँकि, फिर भी, लोग परमेश्वर को छोड़ना सह नहीं सकते, यही परमेश्वर द्वारा लोगों पर जीत का महत्व है, और यही परमेश्वर की महिमा है। तुमने आज के दिन जो मीरास पाई है वह पूर्वकाल के सभी प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं से, यहाँ तक कि मूसा और पतरस से भी बढ़कर है। आशीष एक या दो दिन में नहीं मिलती; बहुत कुछ बलिदान कर उन्हें अर्जित करना पड़ता है। अर्थात्, तुम सबों के पास परिष्कृत प्रेम होना चाहिये, बड़ा विश्वास, और वे बहुतेरे सत्य जो परमेश्वर चाहता है कि तुम लोगों के पास हों; इसके साथ-साथ, तुम सभी न्याय की ओर अपने चेहरे को स्थित करने में सक्षम हों और कभी भी न डरो या हार मानों, और परमेश्वर के प्रति तुम लोगों का प्रेम स्थिर और न समाप्त होने वाला हो। तुम लोगों से संकल्प की मांग की जाती है,और साथ ही तुम सबों के जीवन स्वभाव में बदलाव भी; तुम्हारे भ्रष्टाचार का निवारण हो, और तुम लोग परमेश्वर के अधिकतम प्रभाव को पाने के लिए किये गए कार्य को बिना शिकायत किये स्वीकार करो, और यहां तक कि मृत्यु तक आज्ञाकारी रहो| यह वह है जो तुम को प्राप्त करना है। यह परमेश्वर का अंतिम लक्ष्य है और माँगें हैं जो परमेश्वर इस जनसमूह के व्यक्तियों से चाहता है। जबकि वह तुम लोगों को सब कुछ देता है, बदले में अवश्य है कि वह तुम सबों से बदले में कुछ माँगे और तुम सभी से उचित मांग करे। इस कारण, परमेश्वर के सभी काम बिना कारण नहीं हैं, और इससे यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर क्यों बार-बार उच्च स्तर के कड़ी आवश्यकताओं वाले कार्य करता है। इसलिये आवश्यक है कि तुम सब परमेश्वर के विश्वास से भर जाओ। संक्षेप में, परमेश्वर के सभी काम तुम लोगों के लिये किये जाते हैं, ताकि तुम उसकी विरासत पाने के योग्य ठहरो। ये सब परमेश्वर की अपनी महिमा के लिये नहीं है परन्तु तुम सबों के उद्धार के लिये है और इस समूह के लोगों को सिद्ध करने के लिये जो इस अशुद्ध देश में बहुत अधिक दुख उठाते हैं। तुम लोगों को परमेश्वर की इच्छा समझनी चाहिये। इसलिए मैं अंतर्दृष्टि या समझ न रखने वाले बहुत से अज्ञानी लोगों को प्रोत्साहित करता हूँ: परमेश्वर की परीक्षा न करें और उसका और अधिक प्रतिरोध न करें। परमेश्वर उन सब दुखों को सह चुका है जिन्हें मनुष्य ने कभी नहीं सहा, और बहुत पहले ही मनुष्य के बदले अत्यधिक अपमान को सहा है। और क्या है जिसे तुम लोग नहीं छोड़ सकते? परमेश्वर की इच्छा से बढ़कर और क्या महत्वपूर्ण हो सकता है? परमेश्वर के प्रेम से बढ़कर और क्या हो सकता है? इस अशुद्ध देश में कार्य करना परमेश्वर के लिए पहले ही दोगुना कठिन है। यदि मनुष्य जानबूझकर और इच्छानुसार अवलेहना करता है, तो परमेश्वर का कार्य और लंबा चलेगा। किसी तरह भी, यह किसी के हित में नहीं है, और किसी को कुछ फायदा नहीं है। परमेश्वर समय से नहीं बंधा हुआ है; उसके काम और उसकी महिमा पहले आती है। इसलिये, यदि यह उसका कार्य है, तो समय कितना भी लगे, वह किसी बलिदान को नहीं रख छोड़ेगा । यह परमेश्वर का स्वभाव है: वह तब तक विश्राम नहीं करेगा जब तक उसका कार्य पूरा नहीं हो जाता। जब समय आयेगा कि वह अपनी महिमा के दूसरे भाग को प्राप्त करेगा केवल तब उसका काम समाप्त हो सकेगा। यदि परमेश्वर समस्त ब्रम्हांड में अपनी महिमा के दूसरे भाग के कार्य को पूरा नहीं कर पाये, उसका दिन कभी नहीं आयेगा, उसका हाथ अपने चुने हुओं पर से कभी न हटेगा, उसकी महिमा इस्राएल पर कभी नहीं आयेगी, और उसकी योजना कभी समाप्त नहीं होगी। तुम सबों को देखना चाहिये कि परमेश्वर की इच्छा और कार्य आकाश और पृथ्वी के सृजन और अन्य सब वस्तुओं के सृजन के समान आसान नहीं हैं। आज का कार्य उन लोगों का रूपांतरण करना है जो भ्रष्ट हो चुके हैं, और अत्यधिक सुन्न हो चुके हैं, और उन्हें शुद्ध करना है जो सृजे जाने के बाद शैतान के अनुसार चले हैं, आदम और हव्वा के सृजन करना नहीं, ज्योति की सृष्टि या अन्य सभी पेड़ पौधों और पशुओं के सृजन की तो बात ही दूर है। अब उसका काम उन सबको शुद्ध करना है जिन्हें शैतान ने भ्रष्ट कर दिया है ताकि उनको फिर से हासिल किया जा सके और वे उसकी संपत्ति और उसकी महिमा बनें। यह कार्य उतना आसान नहीं जितना मनुष्य आकाश और पृथ्वी के सृजन और अन्य वस्तुओं के सृजन के संबंध में कल्पना करता है, और न ही यह शैतान को शाप देकर अथाह कुंड में डालने के समान है जैसा मनुष्य कल्पना करता है। बल्कि, यह तो मनुष्य को रूपांतरित करने के लिए है, वह जो नकारात्मक है उसे सकारात्मक बनाने के लिए है और उन सबको अपने अधिकार में लाने के लिए जो परमेश्वर के नहीं है। परमेश्वर के कार्य के इस चरण की यह भीतरी कहानी है। तुम को यह एहसास होना चाहिये, और मामलों को अतिसरल नहीं समझना चाहिये। परमेश्वर का कार्य किसी साधारण कार्य के समान नहीं है, मनुष्य का मन उसके अद्भुत स्वरूप को आत्मसात नहीं कर सकता, और न उसमें निहित बुद्धि को प्राप्त कर सकता है। परमेश्वर सब चीजों का सृजन नहीं कर रहा, और न ही विनाश कर रहा है। बल्कि, वह अपनी समस्त सृष्टि को बदल रहा है और शैतान के द्वारा अशुद्ध की गई सब चीजों को शुद्ध कर रहा है। इसलिये, परमेश्वर महान परिमाण का काम शुरू करेगा, और यह परमेश्वर के कार्य का कुल महत्व है। इन वचनो से, क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर का कार्य बहुत आसान है?
कई हजार वर्षों की परमेश्वर की योजना में, शरीर में किया गया कार्य दो भागों में हैं: पहला क्रूस पर चढ़ाए जाने का कार्य, जिसके लिए वह महिमामय है; दूसरा कार्य अंतिम दिनों में जीतने और सिद्ध करने का है, जिसके द्वारा वह महिमा प्राप्त करेगा। यह परमेश्वर का प्रबंध है। इस कारण, तुम लोग परमेश्वर के कार्य को या परमेश्वर की तुम लोगों के लिये आज्ञा को बहुत साधारण न समझो। तुम सभी बहुत ज़्यादा बढ़कर और अनंतकाल की परमेश्वर की महिमा के भार के वारिस हो, और यह विशेष रूप में परमेश्वर के द्वारा ठहराया गया है। उसकी महिमा के दो भागों में से, एक तुम लोगों के अन्दर प्रकट होता है; परमेश्वर की महिमा के पहले भाग की संपूर्णता को तुम लोगों को दिया गया है ताकि वह तुम सभी की विरासत बने। यह परमेश्वर की ओर से उत्कर्ष है और उसकी योजना जो बहुत पहले से पूर्व निर्धारित है। परमेश्वर ने यह महान कार्य उस देश में किया है जहां विशाल लाल अजगर निवास करता है, ऐसा कार्य, यदि कहीं और किया जाता, तो वर्षों पहले बड़ा फल लाता, और मनुष्यों के द्वारा बड़ी आसानी से स्वीकार किया जाता। और ऐसा कार्य पश्चिम के पादरियों के लिए स्वीकार करना अत्यन्त आसान होता जो परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, क्योंकि यीशु के कार्य का चरण मिसाल का कार्य करता है। यही कारण है कि वह महिमाकरण के कार्य के इस चरण को किसी अन्य स्थान में प्राप्त नहीं कर सका; अर्थात, चूँकि सभी मनुष्यों की ओर से सहयोग और सभी राष्ट्रों की अभिस्वीकृति है, परमेश्वर की महिमा “ठहरने” के लिए कोई स्थान नहीं है। और ठीक रूप से इस देश में इस कार्य के चरण का असाधारण महत्व है। तुम लोगों के बीच में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे कानून के द्वारा सुरक्षा मिली है, इसके विपरीत, तुम सब कानून के द्वारा दण्डित किये गये हो, और उस से बड़ी कठिनाई यह है कि कोई मनुष्य तुम लोगों को समझता नहीं, चाहे वे तुम्हारे रिश्तेदार हों, तुम्हारे माता-पिता, तुम्हारे मित्र, या तुम्हारे सहकर्मी हों। कोई भी तुम लोगों को नहीं समझता। जब परमेश्वर तुम लोगों का तिरस्कार करते हैं, तब तुम्हारे लिये पृथ्वी पर जीने का कोई रास्ता नहीं बचता है। हालाँकि, फिर भी, लोग परमेश्वर को छोड़ना सह नहीं सकते, यही परमेश्वर द्वारा लोगों पर जीत का महत्व है, और यही परमेश्वर की महिमा है। तुमने आज के दिन जो मीरास पाई है वह पूर्वकाल के सभी प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं से, यहाँ तक कि मूसा और पतरस से भी बढ़कर है। आशीष एक या दो दिन में नहीं मिलती; बहुत कुछ बलिदान कर उन्हें अर्जित करना पड़ता है। अर्थात्, तुम सबों के पास परिष्कृत प्रेम होना चाहिये, बड़ा विश्वास, और वे बहुतेरे सत्य जो परमेश्वर चाहता है कि तुम लोगों के पास हों; इसके साथ-साथ, तुम सभी न्याय की ओर अपने चेहरे को स्थित करने में सक्षम हों और कभी भी न डरो या हार मानों, और परमेश्वर के प्रति तुम लोगों का प्रेम स्थिर और न समाप्त होने वाला हो। तुम लोगों से संकल्प की मांग की जाती है,और साथ ही तुम सबों के जीवन स्वभाव में बदलाव भी; तुम्हारे भ्रष्टाचार का निवारण हो, और तुम लोग परमेश्वर के अधिकतम प्रभाव को पाने के लिए किये गए कार्य को बिना शिकायत किये स्वीकार करो, और यहां तक कि मृत्यु तक आज्ञाकारी रहो| यह वह है जो तुम को प्राप्त करना है। यह परमेश्वर का अंतिम लक्ष्य है और माँगें हैं जो परमेश्वर इस जनसमूह के व्यक्तियों से चाहता है। जबकि वह तुम लोगों को सब कुछ देता है, बदले में अवश्य है कि वह तुम सबों से बदले में कुछ माँगे और तुम सभी से उचित मांग करे। इस कारण, परमेश्वर के सभी काम बिना कारण नहीं हैं, और इससे यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर क्यों बार-बार उच्च स्तर के कड़ी आवश्यकताओं वाले कार्य करता है। इसलिये आवश्यक है कि तुम सब परमेश्वर के विश्वास से भर जाओ। संक्षेप में, परमेश्वर के सभी काम तुम लोगों के लिये किये जाते हैं, ताकि तुम उसकी विरासत पाने के योग्य ठहरो। ये सब परमेश्वर की अपनी महिमा के लिये नहीं है परन्तु तुम सबों के उद्धार के लिये है और इस समूह के लोगों को सिद्ध करने के लिये जो इस अशुद्ध देश में बहुत अधिक दुख उठाते हैं। तुम लोगों को परमेश्वर की इच्छा समझनी चाहिये। इसलिए मैं अंतर्दृष्टि या समझ न रखने वाले बहुत से अज्ञानी लोगों को प्रोत्साहित करता हूँ: परमेश्वर की परीक्षा न करें और उसका और अधिक प्रतिरोध न करें। परमेश्वर उन सब दुखों को सह चुका है जिन्हें मनुष्य ने कभी नहीं सहा, और बहुत पहले ही मनुष्य के बदले अत्यधिक अपमान को सहा है। और क्या है जिसे तुम लोग नहीं छोड़ सकते? परमेश्वर की इच्छा से बढ़कर और क्या महत्वपूर्ण हो सकता है? परमेश्वर के प्रेम से बढ़कर और क्या हो सकता है? इस अशुद्ध देश में कार्य करना परमेश्वर के लिए पहले ही दोगुना कठिन है। यदि मनुष्य जानबूझकर और इच्छानुसार अवलेहना करता है, तो परमेश्वर का कार्य और लंबा चलेगा। किसी तरह भी, यह किसी के हित में नहीं है, और किसी को कुछ फायदा नहीं है। परमेश्वर समय से नहीं बंधा हुआ है; उसके काम और उसकी महिमा पहले आती है। इसलिये, यदि यह उसका कार्य है, तो समय कितना भी लगे, वह किसी बलिदान को नहीं रख छोड़ेगा । यह परमेश्वर का स्वभाव है: वह तब तक विश्राम नहीं करेगा जब तक उसका कार्य पूरा नहीं हो जाता। जब समय आयेगा कि वह अपनी महिमा के दूसरे भाग को प्राप्त करेगा केवल तब उसका काम समाप्त हो सकेगा। यदि परमेश्वर समस्त ब्रम्हांड में अपनी महिमा के दूसरे भाग के कार्य को पूरा नहीं कर पाये, उसका दिन कभी नहीं आयेगा, उसका हाथ अपने चुने हुओं पर से कभी न हटेगा, उसकी महिमा इस्राएल पर कभी नहीं आयेगी, और उसकी योजना कभी समाप्त नहीं होगी। तुम सबों को देखना चाहिये कि परमेश्वर की इच्छा और कार्य आकाश और पृथ्वी के सृजन और अन्य सब वस्तुओं के सृजन के समान आसान नहीं हैं। आज का कार्य उन लोगों का रूपांतरण करना है जो भ्रष्ट हो चुके हैं, और अत्यधिक सुन्न हो चुके हैं, और उन्हें शुद्ध करना है जो सृजे जाने के बाद शैतान के अनुसार चले हैं, आदम और हव्वा के सृजन करना नहीं, ज्योति की सृष्टि या अन्य सभी पेड़ पौधों और पशुओं के सृजन की तो बात ही दूर है। अब उसका काम उन सबको शुद्ध करना है जिन्हें शैतान ने भ्रष्ट कर दिया है ताकि उनको फिर से हासिल किया जा सके और वे उसकी संपत्ति और उसकी महिमा बनें। यह कार्य उतना आसान नहीं जितना मनुष्य आकाश और पृथ्वी के सृजन और अन्य वस्तुओं के सृजन के संबंध में कल्पना करता है, और न ही यह शैतान को शाप देकर अथाह कुंड में डालने के समान है जैसा मनुष्य कल्पना करता है। बल्कि, यह तो मनुष्य को रूपांतरित करने के लिए है, वह जो नकारात्मक है उसे सकारात्मक बनाने के लिए है और उन सबको अपने अधिकार में लाने के लिए जो परमेश्वर के नहीं है। परमेश्वर के कार्य के इस चरण की यह भीतरी कहानी है। तुम को यह एहसास होना चाहिये, और मामलों को अतिसरल नहीं समझना चाहिये। परमेश्वर का कार्य किसी साधारण कार्य के समान नहीं है, मनुष्य का मन उसके अद्भुत स्वरूप को आत्मसात नहीं कर सकता, और न उसमें निहित बुद्धि को प्राप्त कर सकता है। परमेश्वर सब चीजों का सृजन नहीं कर रहा, और न ही विनाश कर रहा है। बल्कि, वह अपनी समस्त सृष्टि को बदल रहा है और शैतान के द्वारा अशुद्ध की गई सब चीजों को शुद्ध कर रहा है। इसलिये, परमेश्वर महान परिमाण का काम शुरू करेगा, और यह परमेश्वर के कार्य का कुल महत्व है। इन वचनो से, क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर का कार्य बहुत आसान है?